Aug 16, 2012

अगर ये महिना छब्बीस का होता


हम बटुआ दिखाने पर यूँ न झिझकते
और नयी तनख्वाह को पूरा घर न तरसता
अगर ये महिना छब्बीस का होता

न होती वो जूते की और इक मरम्मत
और बेटे का बस्ता फिर सिलता न होता
अगर ये महिना छब्बीस का होता

वो बेसन के लड्डू और इक बार आते
वो टिक्की के ठेले पे रुकना फिर होता
अगर ये महिना छब्बीस का होता

पा जाती मां वो नयी पीली साड़ी
पिताजी का चश्मा नया बनता होता
अगर ये महिना छब्बीस का होता

उस पिकनिक को मुन्ना न बनाता बहाना
खिलौनों में बिटिया के नया भालू होता
अगर ये महिना छब्बीस का होता

ये सन्डे की शाम न गुजरती टीवी पर
फिलम के उस शो पर मन मसोसा न होता
अगर ये महिना छब्बीस का होता

उन पांच दिनों की मशक्क़त के चलते
चमन पर हमारे सफेदा ना होता
गर ये महिना....
छब्बीस का होता