पहली बार आँख खुली तो देखा था
रोती भी थी मुस्कुराती भी
शायद तभी समझ गयी थी मैं
सबसे ज़्यादा प्यार तुम ही दोगी
मुझे लगा माँ हमेशा होगी
डाट मार प्यार दुलार
घोट पिलाया शिष्टा व्यवहार
कुछ गलत करने से पहले झिझकती हूँ
माँ जानेगी तो क्या सोचेगी
मुझे लगा माँ हमेशा होगी
पिताजी के नाम से डराती
पर कोई गुस्साए तो ढाल बन जाती
आज भी भिड़ जाती हूँ बिन सोचे
दिल में आता है माँ संभाल लेगी
मुझे लगा माँ हमेशा होगी
बचपन में पकवान, फिर जेब खर्च
जवानी में सलाह और उदासीन फासले
शादी में तो मानो घर ही लुटायेगी
मैं बहसी भी थी, 'और कितना दोगी'
मुझे लगा माँ हमेशा होगी
मैं बढ़ती गई वो ढ़लती गयी
कभी सर, कभी कमर, कभी घुटने,
तस्वीरों से बूझा उसका बुढ़ापा
पहले देख लेती तो शायद तैयार होती
मुझे लगा माँ हमेशा होगी
अब माँ नहीं रही
कभी उसे साड़ियों में सूंघती हूँ
कभी पुराने वीडियों में ढूंढती हूँ
चलो जहाँ भी हो तुम, अब दुःख न सहोगी
मेरे लिए तो माँ... तुम हमेशा होगी